कन्नौज/उत्तर प्रदेश: रानी सुनीता सिंह का टिकट काट भाजपा ने आसन किया कन्नौज से सपा प्रत्याशी डिंपल यादव का सफ़र………..

लोकसभा चुनाव 2019:  कन्नौज लोक सभा से भाजपा की प्रबल दावेदार के रूप में उभरती हुई जन लोकप्रिय नेत्री और समाजसेविका रानी सुनीता सिंह जो कि पिछले कई महीनो से कन्नौज सांसदीय क्षेत्र की जनता से लगातार जनसम्पर्क और जनसभाये कर भाजपा के लिए वोट मांग कर  स्वयं को भाजपा से लोकसभा के प्रबल प्रत्याशी के तौर पर स्थापित कर लिया था, पर जब भाजपा ने टिकट की घोषणा की तो रानी सुनीता सिंह की टिकट काट कर सुब्रत पाठक को दे दी, भाजपा के इस कदम से रानी सुनीता सिंह के समर्थकों में बहुत रोष है, और जनमानस में यह चर्चा है की भाजपा के इस फैसले से बसपा-सपा गठबंधन को फ़ायदा मिलेगा.

ज्ञात हो कि भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक ,सपा प्रत्याशी डिंपल यादव से चुनावी मुकाबले में पहले भी हार चुके है, राजनीति में महिलाओं के योगदान पर काम कर रहे एक निष्पक्ष मंच ‘शक्ति’ के एक सर्वेक्षण के मुताबिक करीब 82 प्रतिशत लोग 2019 के लोकसभा चुनावों में महिलाओं को चुनना चाहते हैं, ऐसे में अगर भाजपा से रानी सुनीता सिंह को टिकट मिलती तो कई फैक्टरो में भाजपा को फ़ायदा मिलता, । फिर भी भाजपा अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती। लोकसभा चुनाव का आगाज जिले में शानदार हो,इस लिए आठ अप्रैल को कन्नौज शहर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनसभा को संबोधित करने आ सकते हैं। और इसी दिन भाजपा प्रत्याशी आठ अप्रैल को नामांकन दाखिल कर सकते हैं।

समाजवादी पार्टी की ओर से डिंपल यादव प्रत्याशी बनाई गई हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में डिंपल ने ‘मोदी लहर’ को टक्कर देते हुए यहां से जीत दर्ज की थी. डिंपल को पिछले चुनाव में 489164 (43.89 फीसदी) वोट मिले थे, जबकि बीजेपी प्रत्याशी को 469257 (42.11 फीसदी) वोट मिले थे. बीएसपी को 127785 (11.47 फीसदी) वोट और चौथे नंबर पर रही इनेलो को 0.51 फीसदी वोट मिले थे. इस बार सपा से गठबंधन के बाद बीएसपी यहां पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी. जिसका सीधा मतलब है कि बीएसपी को मिलने वोट सपा के ही खाते में ट्रांसफर होंगे. इस तरह से देखा जाए तो कन्नौज में डिंपल यादव को हरा पाना एक तरह से नामुमिक होगा. हालांकि पिछली बार जीत का अंतर काफी हो गया था. गौरतलब है कि डिंपल यादव सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी हैं और कन्नौज लोकसभा सीट सपा की परंपरागत सीट रही है. साल 1998 से समाजवादी पार्टी लगातार 7 बार लोकसभा का चुनाव जीत चुकी है. इस सीट से अखिलेश यादव तीन बार और उनके पिता मुलायम सिंह यादव एक बार सांसद चुने जा चुके हैं.

सूत्रों का कहना है कि ऐसे में रानी सुनीता सिंह के स्थान पर भाजपा ने सुब्रत पाठक को  प्रत्याशी बना कर डिंपल यादव की जीत को आसन बना दिया है …..