उत्तराखंड में सबसे ज्यादा होती है कन्या भ्रूण हत्या, अफसरों ने नाकामी छिपाने के लिए ढूंढा नया बहाना……..

कन्या भ्रूण हत्या की बजह से लिंगानुपात के मामले में राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे चल रहे उत्तराखंड के अफसरों ने अब इस नाकामी से बचने का नया बहाना ढूंढ निकाला है।
स्वास्थ्य विभाग दावा कर रहा है राज्य की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के जिलों में गर्भ की जांच का अवैध कारोबार चल रहा है, जिससे राज्य में लिंगानुपात गड़बड़ा रहा है। ऐसे में अब शासन यूपी के अधिकारियों को पत्र लिखकर कार्रवाई करने का अनुरोध करने जा रहा है।
उत्तराखंड में शून्य से छह साल के बालक-बालिकाओं के बीच लिंगानुपात चिंताजनक है। आंकड़ों के मुताबिक राज्य में प्रति हजार लड़कों पर 890 बेटियां हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 919 का है।
इसमें भी सीमांत जिले पिथौरागढ़ की स्थिति देखें तो वह और भी सोचनीय है। यहां पर प्रति हजार पर 816 बेटियां है। इस मामले में यूपी भी उत्तराखंड से आगे हैं।
यूपी में यह प्रति हजार पर औसत 912 का है। इस लिंगानुपात का मामला बीते दिनों नीति आयोग के उपाध्यक्ष के सामने भी आया था और उन्होंने इस पर चिंता भी जताई थी।
विभाग के अफसर संदेह जता देते हैं कि बेटों की चाह में उत्तराखंडी लोग उत्तराखंड और यूपी के जिलों में अवैध रूप से चल रहे जांच केंद्रों में जांच करा रहे हैं।
2001 में उत्तराखंड में प्रतिहजार पर 908 बालिकाएं थी। जो दस सालों में घटकर 890 पर पहुंच गई। इसी तरह पिथौरागढ़ जिले में प्रतिहजार पर 902 बालिकाएं थी, जो 2011 में घटकर 816 पर पहुंच गई।
उत्तराखंडी अपनी घटिया मानसिकता के चलते गर्भ में लिंग की जांच करा कर कन्या भ्रूण हत्या करा देते है, इसके कारण उत्तराखंड में लिंगानुपात गड़बड़ा रहा है।