भारतवंशी अटॉर्नी ने मांगी माफी, 370 पर साथ

वॉशिंगटन
जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद जहां कई अमेरिकी सांसदों ने मानवाधिकार का मुद्दा उठाया है, वहीं कश्मीर में एहतियातन लगाए गए कुछ प्रतिबंधों का समर्थन करते हुए भारतीय अमेरिकी अटॉर्नी रवि बत्रा ने कहा है कि जब कोई आतंक के डर से घर से बाहर नहीं निकल पाता तो वह मानवाधिकार से पहले, अपनी जिंदगी चाहता है। उन्होंने 26/11 मुंबई हमले के बाद 'संयम बरतने' के अपने बयान पर भी माफी मांगी है और कहा कि मैं उस वक्त गलत था। आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की जरूरत है ताकि अधिकारों और स्वतंत्रता का कुछ अर्थ बना रहे।

मानवाधिकार से पहले जीवन
न्यू यॉर्क से अटॉर्नी रवि बत्रा ने दक्षिण एशिया में मानवाधिकारों पर कांग्रेस की उप समिति के समक्ष अपनी बात कही। एशिया, प्रशांत और परमाणु अप्रसार पर सदन की विदेश मामलों की समिति की उपसमिति में बत्रा ने कहा, 'जब सीमापार आतंकवाद हर रोज की बात बन चुकी है, घरेलू स्तर पर आतंकवादियों को बढ़ावा दिया जा रहा है और आप घर से बाहर नहीं आना चाहते क्योंकि आपको डर है कि कहीं विस्फोट की चपेट में नहीं आ जाएं। तो ऐसे में कोई व्यक्ति मानवाधिकार से पहले कुछ चाहता है तो वह है जिंदा रहना।'

भारत से मांगी जाए माफी
बत्रा ने कहा, 'मुंबई में 26 नवंबर 2008 में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में, मैं चाहता हूं कि भारत से माफी मांगी जाए, उस हमले में यहूदी और अमेरीकियों को पाकिस्तान से आए आतंकियों ने चुन-चुनकर मारा था। तब मैंने संयम बरतने के लिए कहा था लेकिन मैं गलत था। आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की जरूरत है ताकि हमारे अधिकार और आजादी बरकरार रहे।'

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