3 साल में 71 मौतों पर भारी पड़ रही सियासत, बदल नहीं रहे हालात

रायपुर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का सुपेबेड़ा (Supebeda).. शुद्ध पेयजल के अभाव में दम तोड़ते लोग…और एक के बाद एक लाशें गितने हमारे हुकमरान..मानों ऐसा लगने लगा है कि हम आदि मावन काल में जी रहे हों. जहां पीने का साफ पानी नहीं है और गंदा पानी पीने से लोगों की मौत हो रही है, मगर ऐसा नहीं है. हम 21वीं सदी के आधुनिक भारत (India) के लोग हैं. जहां धरती से तीन लाख चौरासी हजार चार सौ किलोमीटर दूर चांद पर भी एक के बाद एक सफल प्रयोग किए जा रहे हैं. मगर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर (Raipur) से महज 270 किलोमीटर दूर के लोगों को शुद्ध पेयजल, बेहतर इलाज पहुंचाकर लोगों की जान नहीं बचाई जा रही है. हां इतना जरूर हैं कि एक तरफ मौत हो रही है और दूसरी तरफ सियासत.

गरियाबंद (Gariaband) जिले के सुपेबेड़ा (Supebeda) में सियासत का सफर इतना लंबा हो चला है कि तात्कालिक विपक्षीय दल कांग्रेस (Congress) ने राज्यसभा में सुपेबेड़ा के मामले को यूएन तक ले जाने की बात कही थी, मगर सरकार बनने के बाद अब इसी कांग्रेस पार्टी की सरकार कयास लगा रही है कि आखिरकार मौत क्यों हो रही है. शायद इसी वजह से कहा जाता है कि राजनीति में कभी मुर्दे गाड़े नहीं जाते.

मीडिया से चर्चा में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी फैलने व मौत होने के कई कारण हैं. उनमें पानी की समस्या भी शामिल है. कांग्रेस इस मामले में पिछली बीजेपी सरकार पर आरोप लगा रही है कि सुपेबेड़ा में इस समस्या पर यदि समय रहते पूर्व की सरकार ने उचित कदम उठाए होते तो आज हालात इतने बूरे नहीं होते. मामले में विधानसभा के नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि सुपेबेड़ा में स्थिति को काबू करने में सरकार विफल है. अब बीजेपी का एक दल वहां दौरे पर जाएगी.

एक आंकड़े के मुताबिक पिछले तीन साल में सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से 71 मौतें हो चुकी हैं. हालात अब भी सुधरे नहीं हैं. गांव के डेढ़ सौ से अधिक लोग इस समस्या से पीड़ित हैं. बीते मंगलवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, सांसद चुन्नीलाल साहू सहित प्रशासनिक अमला सुपेबेड़ा पहुंचा. यहां राज्यपाल ने ग्रामीणों से वन टू वन चर्चा की. इतना ही नहीं राज्यपाल उइके ने कहा कि अब सुपेबेड़ा मेरी जिम्मेदारी है.