कांग्रेस को दुविधा-चुनौती से उबारने को सोनिया ने बनाया चिंतन समूह

नई दिल्ली
 कांग्रेस को मौजूदा राजनीतिक चुनौतियों के दौर से उबारने के मकसद से सोनिया गांधी ने पार्टी के प्रमुख नेताओं के एक चिंतन समूह का गठन किया है। पार्टी को संक्रमण के दौर से निकालने के साथ यह चिंतन समूह अहम राजनीतिक मुद्दों पर कांग्रेस की प्रभावी रणनीति की दशा-दिशा तय करेगा। महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के मद्देनजर इस नवगठित समूह की पहली बैठक 25 अक्टूबर को बुलाई गई है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, इन दोनों राज्यों के चुनाव नतीजों के अलावा इस पहली बैठक में देश के कुछ ज्वलंत आर्थिक व सियासी मुद्दों पर मंत्रणा की जाएगी। कांग्रेस अध्यक्ष ने 17 सदस्यीय इस चिंतन समूह में पार्टी के वरिष्ठ दिग्गजों के साथ युवा नेताओं को भी शामिल किया है। पार्टी के वरिष्ठ रणनीतिकारों के अनुसार प्रमुख नेताओं के इस समूह का ढांचा अनौपचारिक रहेगा मगर इसकी बैठक हर महीने बुलाए जाने की संभावना है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, गुलाब नबी आजाद, एके एंटनी, अहमद पटेल, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, अधीर रंजन चौधरी, केसी वेणुगोपाल और अंबिका सोनी जैसी वरिष्ठ नेता समूह की सदस्य हैं। वहीं, युवा नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया, रणदीप सुरजेवाला, गौरव गोगोई, राजीव सातव और सुष्मिता देव आदि चेहरे इसमें शामिल किए गए हैं।

संवेदनशील मुद्दों पर पार्टी नेताओं की दुविधा खत्म करने की कोशिश

चुनावी हार से बेजार पार्टी इस वक्त तमाम बड़े मुद्दों पर भी बंटी नजर आ रही है। चिंतन समूह का गठन खासतौर पर इस चुनौती से निपटने के लिए किया गया है, ताकि अहम मुद्दों पर कांग्रेस की वैचारिक और राजनीतिक लाइन की रूपरेखा पार्टी नेताओं को स्पष्ट रहे। अनुच्छेद 370 हटाने के मोदी सरकार के फैसले पर कांग्रेस साफ बंटी दिखी। वहीं अभी महाराष्ट्र चुनाव में वीर सावरकर को भारत रत्‍‌न देने के भाजपा के चुनावी वादे पर भी कांग्रेस नेता पार्टी की राजनीतिक लाइन से परे जाकर असहमति जताते दिखे। चिंतन समूह ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर पार्टी नेताओं की दुविधा को खत्म कर स्पष्ट राजनीतिक लाइन तय करेगा।