बुमराह, इशांत, शमी और उमेश की चौकड़ी की रफ्तार में है दम

मुंबई 
8 दशक से ज्यादा पुराने भारतीय क्रिकेट इतिहास में कई दिग्गज तेज गेंदबाज हुए हैं। वैसे तो भारत के क्रिकेट इतिहास में स्पिन गेंदबाजों की अनगिनत उपलब्धियों से भरा रहा है लेकिन कुछ ऐसे तेज गेंदबाज रहे हैं, जो हमेशा अपनी नाम इतिहास के पन्नों मे दर्ज कराने का काम भी किया है। फिर भले वो कपिल देव हो या जवागल श्रीनाथ हो या जहीर खान। तेज गेंदबाजों के लिए अनुकूल नहीं मानी जाने वाली पिचों पर भी इन महारथियों ने अपना खून-पसीना एक कर लंबे लंबे स्पेल डालने से परहेज नहीं किया और भारतीय टीम की जीत में अकसर अहम योगदान दिया। हालांकि जब बात मौजूदा पीढ़ी के भारतीय तेज गेंदबाजों की छिड़ती है तो अधिकांश पूर्व खिलाड़ी और एक्सपर्ट फिलहाल खेल रही तेज गेंदबाजों की चौकड़ी (जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, उमेश यादव और इशांत शर्मा) को भारतीय क्रिकेट इतिहास का सर्वकालिक श्रेष्ठ तेज गेंदबाजी आक्रामण करार देने से जरा भी नहीं हिचकते। मौजूदा गेंदबाजों और बीते जमाने के गेंदबाजों के बीच तुलना होना आम बात है लेकिन तर्क और आंकड़ों की कसौटी पर ये तुलना कितनी फिट बैठती है, ये समझना जरूरी है। 

वो वक्त मुश्किल था 
90 के दशक की बात करें तो ये वो दौर था, जब भारतीय टीम जीत के लिए तेज गेंदबाजों से अधिक स्पिन गेंदबाजों पर काफी ज्यादा निर्भर रहती थी। खासतौर से एशियाई महाद्वीप में होने वाले मैचों में। भारत में होने वाले टेस्ट मैचों में तो अकसर देखा जाता था कि स्पिन गेंदबाजी के लिए मददगार पिच के मद्देनजर केवल एक विशेषज्ञ तेज गेंदबाज और 3 स्पिन गेंदबाजों को प्लेइंग इलेवन में जगह मिलती थी। जवागल श्रीनाथ भारतीय टीम में कपिल देव के समय में ही आ चुके थे। शुरुआती वर्षों में उनकी गेंदों में गजब की तेजी और स्विंग हुआ करती थी। कपिल के संन्यास के बाद उन्हें एक अदद जोड़ीदार की दरकार थी जो वेंकटेश प्रसाद ने काफी हद तक पूरी की। प्रसाद के पास भले ही श्रीनाथ जैसी कातिलाना स्पीड नहीं थी लेकिन वह बॉल को दोनों तरफ स्विंग कराने में माहिर थे। भारतीय पिचों पर श्रीनाथ और प्रसाद की जोड़ी वैसी सफलता इंटरनैशनल मैचों में नहीं मिली जैसी उनके खेल कौशल की बदौलत मिलनी चाहिए थी। 

विदेशी पिचों (एशिया के बाहर) पर बॉल की स्विंग और बाउंस को संभालने में भारतीय बल्लेबाजी लाइनअप अकसर फेल हो जाती थी, जिसका नतीजा यह होता था कि श्रीनाथ और प्रसाद जैसे भारतीय तेज गेंदबाजों पर कम स्कोर को बचाव करने का दबाव आ जाता था। इस दबाव के कारण वह विपक्षी बल्लेबाजों पर उस तरह आतंकित नहीं कर पाते थे जैसा कि उनकी काबिलियत थी। वर्ष 2000 में इंटरनैशनल क्रिकेट में जहीर खान का आगमन हुआ, जो बाएं हाथ के तेज गेंदबाज रहे। उन्होंने अपनी यॉर्कर, इनस्विंग और रिवर्स स्विंग गेंदों से खूब विकेट निकाले। टेस्ट और वनडे को मिलाकर 593 विकेट चटकाए लेकिन भारतीय पिचों पर अपेक्षित सफलता नहीं मिली जबकि विदेशी पिचों पर कई दिग्गजों को दिन में तारे दिखाए। जहीर वनडे मैचों में खासे सफल रहे खासकर 2011 के वर्ल्ड कप में जिसमें भारत चैंपियन भी बना। हालांकि फिटनेस कारणों के चलते जहीर उतने मैच नहीं खेल सके जितने के वो हकदार थे। 

इस वक्त की बात ही कुछ और है 
पिछले 4 वर्षों की बात करें तो भारतीय टीम के पास हर फॉर्मेट में कम से कम 4 बल्लेबाज और इतने ही तेज गेंदबाज हैं जो असल मायनों में मैच विजेता हैं। विराट कोहली, रोहित शर्मा, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, उमेश यादव और इशांत शर्मा मैच विजेताओं की सूची में कुछ प्रमुख नाम हैं। बल्लेबाजों का जिक्र न करके तेज गेंदबाजों का जिक्र करें तो बुमराह, शमी और उमेश तीनों ने अपनी काबिलियत का लोहा देसी ही नहीं विदेशी पिचों पर भी मनवाया है। भारतीय टीम में फास्ट बोलरों के इस कॉम्बिनेशन को आप BISU (बुमराह, इशांत, शमी और उमेश) के रूप में जान लीजिए। अच्छी बात यह है कि काम के बोझ के चलते इन तीनों प्रमुख गेंदबाजों की फिटनेस न प्रभावित हो, इसका भी ध्यान बराबर रखा जा रहा है। वर्ष 2018-19 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया में 2-1 और हाल ही में साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में मिली 3-0 की जीत इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों से दर्ज हो चुकी हैं। इस ऐतिहासिक सफलता में बुमराह, शमी, उमेश और इशांत का बड़ा हाथ है। बुमराह की खासियत उनका अनोखा ऐक्शन है, जिसे पढ़ना आसान नहीं होता। वो बेहद चालाकी से गेंदों की गति में बदलाव करते हैं और यही नहीं वो घातक यॉर्कर भी फेंकते हैं। 

शमी और उमेश के पास स्पीड और स्विंग का डेडली कॉम्बिनेशन है। बाउंसर और शॉर्ट पिच गेंदें भी इनकी बहुत कम बेकार जाती हैं। इशांत अपने लंबे कद का सही इस्तेमाल कर पिच से अतिरिक्त उछाल पाते हैं। कुलमिलाकर मौजूदा भारतीय तेज गेंदबाजी आक्रामण में काफी विविधता है। भारतीय पिचों पर शमी और उमेश ने जिस तरह अफ्रीकी बल्लेबाजों को बौना साबित किया, ये दर्शाता है कि मौजूदा समय के भारतीय तेज गेंदबाज हर तरह की पिच और माहौल में जलवा बिखेर सकते हैं। हालांकि आलोचक यह कह सकते हैं कि इस जमाने के भारतीय तेज गेंदबाज सफल इसलिए अधिक हो रहे हैं क्योंकि विराट, रोहित, पुजारा, रहाणे, और मयंक अग्रवाल जैसे बल्लेबाज बड़े स्कोर बनाकर उन्हें निश्चिंत होकर विपक्षी बल्लेबाजों को निशाना बनाने की खुली छूट दे रहे हैं। ये कहना गलत हो सकता है क्योंकि श्रीनाथ और जहीर के वक्त भी सचिन तेंडुलकर, मोहम्मद अजहरूद्दीन, सौरभ गांगुली, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण जैसे महारथी थे, जिन्होंने हर फॉर्मेट में रनों का अंबार लगाया। ये जरूर है कि मौजूदा दौर की पिचें, दो दशक पहले की पिचों की तुलना में बल्लेबाजी के लिए ज्यादा अनुकूल हों, लेकिन अव्वल दर्जे के तेज गेंदबाज वे ही हैं, जो हर तरह की पिचों पर अपना बेस्ट दें।