पुरानी जांच रिपोर्ट आई नहीं, लगातार भरे जा रहे हैं नमूने

अलीगढ़
खाद की कालाबाजारी पर सरकार के सख्त रवैये के बाद भी कृषि विभाग के अफसर कोई ठोस कार्रवाई करते नजर नहीं आ रहे। अफसरों की कार्रवाई सिर्फ सैंपल लेने तक सीमित है। इसकी रिपोर्ट भी महीनों बाद आती है। पिछले साल लिए सैंपल की रिपोर्ट अब तक नहीं आई। वहीं, विभागीय अफसर पिछले दो साल में कोई मुकदमा दर्ज न करा सके। जबकि, अलीगढ़ में मानक के विपरीत लाखों टन यूरिया बेच दिया गया। ऐसी फर्में भी चिह्नित हुईं थी, जहां नियमों की अनदेखी की गई। इसके बाद भी नोटिस देने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं हुई। कुछ माह पूर्व अलीगढ़ आए कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कृषि विभाग के अफसरों की क्लास लगाई थी। कृषि अधिकारियों ने कार्रवाई का ब्यौरा उनके सामने पेश किया। एक टीम को खाद-बीज केंद्रों की जांच करने के लिए रवाना कर दिया गया। 137 केंद्रों की टीमाें ने जांच कर सैंपल ले लिए थे। केंद्रों पर उर्वरकों का सत्यापन, स्टाक, पीएसओ मशीन से बिक्री आदि के बारे में जानकारी की गई थी। ये ब्यौरा भी कृषि मंत्री के समक्ष रखा गया। कृषि मंत्री को बताया गया कि विभागीय टीमें लगातार खाद-बीज केंद्रों पर नजर रखे हुए हैं। उर्वरक के साथ किसानों को अनुपयोगी सामान (लगेज) नहीं थमाया जा रहा। कृषि मंत्री भी अफसरों की बात मानकर आश्वस्त हो गये और कहने लगे कि जनपद में भरपूर मात्रा में यूरिया, डीएपी (उर्वरक) उपलब्ध है। उर्वरक की कालाबाजारी नहीं होने दी जा रही। यूरिया की कालाबाजारी करने वालों के जो नाम सामने आए थे, उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए गए। जब मीडिया ने अलीगढ़ में हुई कार्रवाई पर सवाल किये तो कृषि मंत्री ने स्थानीय अफसरों से जानकारी मांगी।

उप कृषि निदेशक यशराज सिंह का कहना था कि मानकों की अनदेखी कर उर्वरक की बिक्री में जिन फर्मों के नाम सामने आए थे, उन्हें नोटिस दिए गए हैं। मगर कोई मुकदमा नही कराया। गौरतलब है कि बीते साल ऐसी 17 फर्मों को चिह्नित किया गया था, जहां नियमों को ताक पर रखकर यूरिया बेचा गया। 20 किसान भी ऐसे मिले थे, जिन्होंने निर्धारित मात्रा से अधिक यूरिया खरीदा। नमूने भी लिए गए, जिनकी रिपोर्ट अब तक नहीं आई। इस साल 600 से अधिक नमूने लिए जा चुके हैं।