प्रतापगढ़ में अलसी की खेती हो गई है शुरू, अब किसान होंगे समृद्ध

प्रयागराज
प्रतापगढ़ जिले में स्थापित सनई अनुसंधान केंद्र में अब अलसी की खेती की शुरुआत की गई है। इसका रेशा काफी मजबूत होता है। केंद्र पर इसका उत्पादन कर बीज तैयार किया जाएगा। इसके बाद किसानों को इसकी खेती करने को प्रेरित किया जाएगा। इसकी खेती करके यहां के किसान आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे। इसकी तैयारी भी की जा रही है।

120 दिन में अलसी की तैयार हो जाएगी फसल
शहर में स्थापित देश के एक मात्र सनई अनुसंधान केंद्र में पूर्व में सनई की कई नई प्रजाति की खोज की गई थी। पिछले दो वर्षों से एक भी नई प्रजाति की खोज नहीं हो सकी। अब यहां अलसी रेशा उत्पादन करने की रणनीति तैयार की गई है। वर्तमान में सनई अनुसंधान केंद्र में अलसी रेशा की खेती प्रभारी वैज्ञानिक शिवा कुमार के निर्देशन में हो रही है। इसी नवंबर माह में इसकी बोआई कराई गई। 110 से 120 दिन में इसकी फसल तैयार हो जाएगी। फरवरी माह में इसकी कटाई होगी। इसके बाद अलसी का बीज किसानों को उपलब्ध कराकर इसकी खेती करने को प्रेरित किया जाएगा।

अलसी की विशेषता
देखा जाए तो अलसी दो कारणों से लोकप्रिय फसल है। एक है अलसी का रेसा और दूसरा अलसी का तेल। अलसी रेशे से लिनन कपड़ों के लिए सबसे अच्छे कच्चे माल में से एक है। अलसी का रेशा मजबूत, नरम, लचीला, चमकदार, पीले रंग का होता है। इसमेंं उच्च पानी सोखने का गुण होता है। वर्तमान में भारत यूरोपीय देशों से बड़ी मात्रा में अलसी के फाइवर का आयात करता है। इस कारण यहां अलसी के विस्तार की गुंजाइश है। अलसी के रेशे का उपयोग टिशू पेपर, सिगरेट पेपर के साथ ही करेंसी के लिए कागज, मछली पकडऩे के जाल आदि बनाने में भी किया जाता है।

बोले, सनई अनुसंधान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक
सनई अनुसंधान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक शिवा कुमार कहते हैं कि इस केंद्र में इसी नवंबर माह से अलसी की खेती की जा रही है। इससे रेशा का उत्पादन किया जाएगा। एक हेक्टेयर में इसकी खेती कर बीज तैयार किया जाएगा। इसके बाद किसानों को इसकी खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा।

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