ब्रिटेन के खुफिया प्रमुख ने दी चेतावनी, चीन-रूस जासूसी की पूरी दुनिया पर कर लेंगे ‘कब्‍जा’

लंदन
ब्रिटेन की विदेशी खुफिया एजेंसी MI 6 के मुखिया रिचर्ड मूर ने जासूसी की दुनिया में हो रहे बदलावों पर गंभीर चेतावनी दी है। रिचर्ड मूर ने कहा कि चीन और रूस जिस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर महारत हासिल कर रहे हैं, आने वाले 10 वर्षों में भूराजनीति में क्रांतिकारी बदलाव कर सकते हैं। मूर एमआई 6 का चीफ बनने के बाद मंगलवार को अपना पहला भाषण देने जा रहे है और इसके कुछ अंश पहले ही जारी कर दिए गए हैं। मूर अपने भाषण में क्‍वांटम इंजीनियरिंग, इंजीनियर्ड बॉयोलॉजी, बड़े पैमाने पर पैदा हो रहे डेटा और कंप्‍यूटर की दुनिया में तेजी से हो रहे बदलावों से पैदा होने वाले खतरों के बारे में अपनी बात रखेंगे। मूर के भाषण के पहले ही जारी किए गए अंश में कहा गया है, 'हमारे शत्रु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्‍वांटम कंप्‍यूट‍िंग, सिंथेटिक बॉयोलॉजी पर महारत हासिल करने के लिए जमकर पैसा बहा रहे हैं और उनका ऐसा करने का इरादा भी है। वे (चीन और रूस) यह जानते हैं कि इन तकनीकों पर महारत हासिल करना उन्‍हें मदद कर सकता है।'

द सन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की इस महिला जासूस का नाम क्रिस्टीन फांग है जिसे फांग फांग के नाम से भी जाना जाता है। इस जासूस ने चार साल अमेरिका में स्टूडेंट बनकर कई अमेरिकी राजनेताओं को अपनी जाल में फंसाया था। इसमें डेमोक्रेटिक सांसद और यूएस सीनेट के इंटेलिजेंस कमेटी के मेंबर एरिक स्वैलवेल भी शामिल हैं। आरोप यह भी हैं कि स्वैलवेल और क्रिस्टीन के बीच शारीरिक संबंध थे। हालांकि, अमेरिकी सांसद ने सार्वजनिक रूप से आपसी रिश्तों को कभी स्वीकार नहीं किया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2014 में चीनी जासूस क्रिस्टीन फांग ने एरिक स्वैलवेल के चुनाव लड़ने के लिए फंडिंग की थी। दरअसर एरिक उसके फंड रेजिंग कैंपेन, व्यापक स्तर की पहुंच, सुंदरता को देखकर फिदा हो गए थे। जिसके बाद इन दोनों के बीच काफी नजदीकी बन गई थी। लेकिन, जब अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई ने एरिक को उसके चीनी जासूस होने की जानकारी दी, तब उन्होंने क्रिस्टीन से दूरी बना ली थी। 2015 में एफबीआई को क्रिस्टीन फांग के बारे में जानकारी मिल गई थी। जिसके बाद से एफबीआई ने उसे रंगे हाथ पकड़ने के लिए जाल भी बिछाया। लेकिन, अपने काम में माहिर क्रिस्टीन ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी की चाल को पहले ही भांप लिया और देश छोड़कर फरार हो गई। बताया जाता है कि उसे अमेरिका से फरार करवाने में कई अमेरिकी राजनेताओं का हाथ था।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व अधिकारी डेनियल हॉफमैन ने फॉक्स न्यूज को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि चीन के सैकड़ों नहीं हजारों की संख्या में हनीट्रैप जासूस हमारे देश में सक्रिय हैं। ये जासूस गुप्त सूचनाओं को चीन तक पहुंचाने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि चीन हर साल सैकड़ों की संख्या में अपने जासूसों को अच्छी अग्रेंजी सिखाकर उन्हें छात्र के रूप में अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दाखिला दिलवाता है। यहां से ये जासूस अमेरिकी राजनेताओं और अधिकारियों को अपने जाल में फंसाकर खुफिया सूचनाएं निकलवाते हैं। ये जासूस हनीट्रैप में फंसाने के लिए सोशल मीडिया का खूब उपयोग करते हैं। इसी के जरिए ये अमेरिकी राजनेताओं और अधिकारियों के साथ संपर्क स्थापित करते हैं। उन्होंने कहा कि फांग फांग या क्रिस्टीन फांग को भी चीन के राज्य सुरक्षा मंत्रालय ने ही अमेरिका में जासूसी करने के लिए भेजा था। उन्होंने कहा कि मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि अब भी बड़ी संख्या में चीनी जासूस अमेरिका में सक्रिय हैं, जो यहां बड़े अधिकारियों और राजनेताओं को अपने हनीट्रैप में फंसाने की कोशिश कर रही हैं।

अमेरिका ही नहीं, चीन के ये हनीट्रैप वाले जासूस फ्रांस, ब्रिटेन और नीदरलैंड में भी फैले हुए हैं। फ्रांस ने 2011 में ही चेतावनी जारी कर कहा था कि चीन उसके देश में हनीट्रैप के लिए बड़ी मात्रा में जासूसों को तैनात कर रहा है। इसके बाद दोनों देशों के संबंधों में खटास भी देखने को मिली थी। जबकि ब्रिटेन और नीदरलैंड ने 2016 में ऐसा ही आरोप चीन पर लगाया था। चीन अपने देश में जासूसों की भर्ती के लिए बेहद घटिया तरीके अपनाता है। इसमें चीनी परिवारों पर दबाव डालना, ब्‍लैकमेल करना शामिल है। इन जासूसों के जरिए चीन अंजान पश्चिमी राजनेताओं, बिजनेसमैन और अधिकारियों को हनीट्रैप के जरिए फंसाने की कोशिश करता है। इसके लिए चीन खूबसूरत महिलाओं को भर्ती करता है और फिर उन्‍हें ट्रेनिंग देकर टारगेट के पास भेजा जाता है। ये महिलाएं टारगेट की आपत्तिजनक तस्‍वीरें और वीडियो बना लेती हैं। इसके बाद उन लोगों मनचाहा काम करने के लिए ब्‍लैकमेल किया जाता है। चीन में काम करने वाले एक ब्रिटिश बिजनसमैन ने बताया कि चीन यह विदेशों में ही नहीं अपने देश में हनीट्रैप के लिए जाल बिछाता है। इसे चीन की खुफिया एजेंसी चलाती है। चीन ने पूरी दुनिया में जासूसी के लिए अलग-अलग जगहों पर पूरा एक नेटवर्क बना रखा है।

'उदार लोकतंत्रों के लिए रूस-चीन की खुफिया एजेंसियां चिंता का सबब'
मूर बहुत कम बोलते हैं और जब वह बोल‍ते हैं तो वह वर्तमान खतरों के बारे में अपनी राय रखते हैं। मूर का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब दुनियाभर के जासूस अत्‍याधुनिक तकनीकों पर महारत हासिल कर रहे हैं जिससे अब तक इंसानों के जरिए होने वाले जासूसी अभियानों को चुनौती मिल रही है। अब तक हजारों साल से जासूसों के जरिए ही दुनिया में जासूसी को अंजाम दिया जाता रहा है। मूर एक राजनयिक रह चुके हैं और अक्‍टूबर 2020 में एमआई 6 के चीफ रह चुके हैं। मूर ने कहा कि एक समाज के रूप में हमने अभी तक इस सामने खड़े खतरे और उसके वैश्विक भूराजनीति पर पड़ने वाले असर के बारे में आकलन नहीं किया है। लेकिन यह एमआई 6 के लिए अत्‍यधिक फोकस का विषय बना हुआ है। दुनिया के उदार लोकतंत्रों के लिए रूस और चीन की खुफिया एजेंसियां चिंता का विषय हैं।

चीन उभरती हुई तकनीकों पर हासिल कर सकता है बादशाहत
इन दोनों ही देशों की खुफिया एजेंसियां अत्‍याधुनिक तकनीकों की ताकत पर कब्‍जा करने के लिए खुद को तैयार कर रही हैं। कई बार तो वे पश्चिमी देशों से ज्‍यादा तेजी से ऐसा कर रहे हैं। पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों को डर है कि चीन अगले आने वाले दशकों में सभी उभरती हुई प्रमुख तकनीकों खासतौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्‍वांटम कंप्‍यूट‍िंग, जेनेटिक्‍स पर बादशाहत हासिल कर सकता है।