उत्तराखंड धर्म संसद पर पहली बार बोला मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, ऐसी टिप्पणी उचित नहीं

नई दिल्ली

उत्तराखंड के हरिद्वार में धर्म संसद के नाम पर साधु-संतों द्वारा भड़काऊ भाषण देने का मामला कई दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने इस मामले पर टिप्पणी की है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने कहा कि जो भी टिप्पणी की गई वह किसी सभ्य समाज के लिए उचित नहीं है। दरअसल, उत्तर प्रदेश चुनाव के सिलसिले में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने मुस्लिम उलेमाओं के साथ बैठक की और भाजपा के लिए समर्थन मांगा। मंच के कुछ सदस्यों ने अमरोहा, मुरादाबाद और रामपुर में प्रचार किया। इसमें मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अख्तर और उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के चेयरमैन आदि शामिल थे। मोहम्मद अख्तर ने कहा कि न तो सरकार और न ही संघ का ऐसी किसी धर्म संसद से कोई लेना देना है।

उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ऐसे लोगों का समर्थन नहीं करता और ऐसी टिप्पणी की कड़ी निंदा करता है। उन्होंने मुस्लिम समाज और महिलाओं के लिए मोदी सरकार के कामकाज तारीफ की। मंच ने इन तीन जिलों में सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाया और विधानसभा चुनाव में समर्थन जुटाने के उद्देश्य से मुस्लिम उलेमा और अन्य विद्वानों के साथ बैठकें भी की।
 

बता दें कि हाल ही में हाईकोर्ट ने हरिद्वार में धर्म संसद के नाम पर साधु-संतों द्वारा भड़काऊ भाषण देने के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने को लेकर दायर प्रबोधानंद गिरी की याचिका पर सुनवाई की। न्यायमूर्ति एनएस धनिक की एकलपीठ ने सरकार से 25 जनवरी तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। ज्वालापुर हरिद्वार निवासी नदीम अली ने हरिद्वार कोतवाली में दो जनवरी 2022 को शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा है कि हिन्दू साधु-संतों द्वारा 17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन किया गया।

धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आह्वान किया गया। मुसलमानों के पवित्र ग्रंथ कुरान व पैगम्बर साहब के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग भी किया गया। जितेंद्र नारायण त्यागी, यति नरसिंहानंद व अन्य ने बाद में इसका वीडियो बनाकर वायरल भी कर दिया। इस भड़काऊ भाषण से जिले में अशांति का माहौल बना रहा। भारत सहित अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की किरकिरी हुई। प्रबोधानंद गिरी द्वारा हरिद्वार की मस्जिदों में रह रहे लोगों के खिलाफ हिंसा फैलाए जाने का प्रयास भी किया गया।