वाहन सर्वर 27 जुलाई से होगा शुरू, 26 को न करवाएं गाड़ियों के पंजीयन

इंदौर
केंद्र सरकार के वाहन सर्वर के विदिशा में चल रहे सफल ट्रायल के बाद इसे 27 जुलाई से प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा। इसकी तैयारी पूरी हो गई है। शुक्रवार को भोपाल में प्रदेशभर के आरटीओ अधिकारियों को इस संबध में प्रशिक्षण दिया गया है। इंदौर में तो डीलरों को कहा गया है कि 26 जुलाई को गाड़ियों का पंजीयन ही न करें। अभी यह व्यवस्था नए वाहनों के लिए शुरू हो रही है।

जानकारी के अनुसार नेशनल इंफरमेशन सेंटर (एनआइसी) के अधिकारियों ने आरटीओ अधिकारियों को इसके संबध में विस्तार से प्रशिक्षण दिया है। इसमें इस नई व्यवस्था के फायदे बताए गए। 27 जुलाई से इंदौर में इसे शुरू कर दिया जाएगा। अभी प्रदेश में वाहनों का पंजीयन स्मार्टचिप कंपनी के सर्वर पर किया जाता है। प्रशिक्षण में शामिल होकर आए एआरटीओ ह्रदयेश यादव ने बताया कि अभी नए वाहन ही इस सर्वर पर पंजीकृत किए जाएंगे। पुराने वाहनों के लिए व्यवस्था देरी से शुरू की जाएगी। नई व्यवस्था में डीलरों के यहां ही काम हो जाएगा। लोगों को आरटीओ आने की जरूरत ही नहीं होगी। डीलर से गाड़ी लेने पर ग्राहक का आधार नंबर लिया जाएगा। वाहन सर्वर पर आधार नंबर डाल कर वेरीफाइ करते ही पूरी जानकारी आ जाएगी। जिससे पंजीयन कार्ड पर वाहन के मालिक की सही जानकारी आधार के अनुसार होगी।

बिना आधार के भी पंजीयन की व्यवस्था रहेगी। वाहनों की कीमत सीधे एनआइसी की वेबसाइट से लेने की सुविधा होगी। माडल अपडेट करने की परेशानी खत्म हो जाएगी। वाहनों की इंश्योरेंस पालिसी का सत्यापन आइआरडीए की वेबसाइट से जोड़ा जाएगा। इंश्योरेंस का फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा। चेचिस और इंजन नंबर यूनिक हो जाएंगे। देश में कहीं भी उस चेचिस या इंजन नंबर पर वाहन का पंजीयन नहीं हो सकेगा। सारी जानकारी आनलाइन होगी, दस्तावेजों की एक कापी आरटीओ जाएगी जहां पर केवल सत्यापन होगा। पंजीयन डीलर के यहां हो जाएगा केंद्र सरकार ने नई गाड़ियों के लिए भारत सीरीज (बीएच) में पंजीयन की व्यवस्था लागू की है। वह प्रदेश में लागू हो जाएगी। इसके तरह एक राष्ट्र एक क्रमांक (वन नेशन वन नंबर) के तहत प्रदेश में जिस वाहन का पंजीयन भारत सीरीज बीएच में होगा, उस वाहन के मालिक को दूसरे राज्य में जाने पर अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं लेना पड़ेगा और न ही नया क्रमांक लेने की जरूरत पड़ेगी।

अभी हर राज्य में जाने पर वहां पर वाहन को पंजीयन शुल्क देकर उस राज्य का क्रमांक लेना होता है। किसी भी दूसरे राज्य में वाहन लेकर जाने पर जांच के दौरान दस्तावेज दिखाने से मुक्ति मिल सकती है। वाहन का क्रमांक डालते ही पूरी जानकारी आ जाएगी। व्यावसायिक वाहनों को चालकों और मालिकों को काफी सुविधा हो जाएगी। वाहन का फिटनेस किसी भी राज्य में हो सकेगा। जैसे इंदौर का कोई ट्रक दिल्ली गया है और वहां उसका फिटनेस खत्म हो गया है तो वह वहीं फिटनेस जांच कर प्रमाणपत्र ले सकेगा।