भारत ने श्रीलंका की फिर की मदद,भेजा चावल, दूध और दवाई

   नई दिल्ली

भारत लगातार आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका (Sri Lanka Crisis) की मदद कर रहा है. इसी क्रम में मंगलवार को तमिलनाडु सरकार ने श्रीलंका को जरूरत की तमाम वस्तुओं की तीसरी खेप भेजी है. भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले ने श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी और स्वास्थ्य और जल आपूर्ति मंत्री केहेलिया रामबुक्वेला की मौजूदगी में चावल और दवाइयों की मानवीय आपूर्ति खेप श्रीलंका को सौंप दी है.

उच्चायोग ने एक बयान में कहा- 'भारत की सरकार और वहां के लोग श्रीलंका के लोगों के लिए एक साथ आए हैं'. भारतीय उच्चायुक्त ने तमिलनाडु सरकार और वहां के लोगों द्वारा दान किए गए 3.4 अरब रुपये से अधिक की वस्तुओं की खेप सौंपी है.

चावल, दूध और दवाइयां भेजी गईं

श्रीलंका अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने की कगार पर है. इस वजह से सरकार विदेशों से जरूरी वस्तुएं नहीं खरीद पा रही है. भारत ने श्रीलंका को 40,000 मीट्रिक टन चावल, 500 मीट्रिक टन दूध पाउडर और 100 मीट्रिक टन दवाएं भेजी हैं.

भारतीय मूल के श्रीलंकाई तमिलों के एक युवा नेता जीवन थोंडामन ने कहा कि तमिलनाडु से भारतीय सहायता की तीसरी और अंतिम खेप मिली है. हम तमिलनाडु के लोगों और मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को इस मदद के लिए धन्यवाद देते हैं.

भारत लगातार कर रहा मदद

श्रीलंका की मदद के लिए स्टालिन ने 123 करोड़ रुपये की मानवीय सहायता की घोषणा की थी. तमिलनाडु सरकार इससे पहले श्रीलंका के लोगों को दो बार ऐसी जरूरी वस्तुओं की खेप भेज चुकी है. इस साल जनवरी से अब तक भारत सरकार ने 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की रकम श्रीलंका को मदद के तौर पर दी है. श्रीलंका को अपने 2.2 करोड़ लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अगले छह महीनों में करीब 5 अरब डॉलर की जरूरत है. श्रीलंका फिलहाल IMF और अन्य विदेशी देशों के साथ मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने के लिए वित्तीय सहायता के लिए बातचीत कर रहा है.  

लोगों के सामने भोजन का संकट

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में 60 लाख से अधिक लोगों के सामने खाने का संकट पैदा हो गया है. दवा, रसोई गैस, ईंधन और टॉयलेट पेपर जैसी आवश्यक वस्तुओं वस्तुओं की भारी कमी हो गई है, जिससे श्रीलंकाई लोगों को ईंधन और रसोई गैस खरीदने के लिए दुकानों के बाहर घंटों कतारों में इंतजार करना पड़ रहा है. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) ने एक रिपोर्ट में कहा था कि श्रीलंका में 63 लाख लोग यानी 28.3 प्रतिशत आबादी के सामने खाने का संकट है.

कर्ज के बोझ के कारण बिगड़े हालात

श्रीलंका में पेट्रोल बचत के लिए सरकार ने स्कूल और कॉलेज पहले से बंद कर दिए हैं. वहीं सरकारी कर्मचारियों को घर से काम (Work from Home) करने के लिए कह दिया गया है. इस पूरे संकट की शुरुआत विदेशी कर्ज के बोझ के कारण हुई. कर्ज की किस्तें चुकाते-चुकाते श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया.