भारत में मिला मंकीपॉक्स का स्ट्रेन यूरोप में फैले स्ट्रेन जैसा नहीं, केरल के दो मरीजों में मिला ए.2

 नई दिल्ली।
 
देश के दक्षिण राज्य केरल में मंकीपॉक्स के दो मरीजों में मिला स्ट्रेन यूरोप में फैले वायरस के स्ट्रेन जैसा नहीं है। सीएसआईआर के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (सीएसआईआर-आईजीआईबी) के वैज्ञानिकों ने ये दावा जीनोम सिक्वेंसिंग की रिपोर्ट आने के बाद किया है। रिपोर्ट के अनुसार केरल में मिले मंकीपॉक्स के मरीजों में ए.2 स्ट्रेन की पुष्टि हुई है। आईजीआईबी के जीनोम सिक्वेंसिंग वैज्ञानिक विनोद स्कैरिया ने बताया है कि देश में मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आए हैं। केरल में मिले दो मरीजों के सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की गई है। इसमें दोनों ही मरीजों में ए.2 स्ट्रेन की पुष्टि हुई है। वहीं यूरोपीय देशों में बी.1 वेरिएंट का प्रकोप ज्यादा है।

यूरोप में बी.1 स्ट्रेन का प्रकोप ज्यादा
मंकीपॉक्स का ए.2 स्ट्रेन अधिकतर अमेरिका और थाईलैंड में फैला है लेकिन ये सुपर स्प्रेडर या बड़े क्लस्टर के रूप में सामने नहीं आया है। यूरोपीय देशों में बी.1 स्ट्रेन का दायरा व्यापक है, हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं है कि वायरस का ये रूप कितना घातक और संक्रामक है।

दुनिया में इस स्ट्रेन के चुनिंदा मामले
वैज्ञानिक स्कैरिया के अनुसार दुनियाभर में ए.2 स्ट्रेन के बहुत कम मामले सामने आए हैं। हालांकि जो भी मरीज सामने आए हैं उनमें से अधिकतर मरीज मध्य पूर्व या पश्चिम अफ्रीकी देशों से लौटे हैं। वे बताते हैं कि वर्ष 2021 में वायरस का प्रकोप अमेरिका में धीरे-धीरे प्रसार कर रहा था जब यूरोप में इसका प्रकोप चरम पर था।

अपने भीतर बदलाव करते हैं वायरस
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की निदेशक डॉक्टर प्रिया अब्राहम का कहना है कि सभी वायरस समय के साथ अपने भीतर बदलाव करते हैं। डरने की जरूरत नहीं है। एकसाथ मंकीपॉक्स के दो आउटब्रेक हुए हैं। हालांकि ए.2 और बी.1 स्ट्रेन कितना संक्रामक और घातक होगा ये अभी कहना जल्दबाजी होगी।