सालों पहले की वसूली अवैध करार, ब्याज समेत वसूली को हाईकोर्ट के निर्देश पर वापस करेगी सरकार

भोपाल
पुलिस के 1172 कर्मचारियों से ‘अधिक वेतन’ की ब्याज समेत वसूल की गई राशि अब सरकार उन्हें वापस लौटाएगी। जिस तरह सरकार ने ब्याज समेत पैसा वसूल किया था, क्या उसी तरह ब्याज सहित वापस भी मिलेगा, इसे लेकर कर्मचारी संगठन रणनीति बना रहे हैं।

पुलिस के 1172 कर्मचारियों के वेतन का गलत आंकलन करते हुए पहले तो उन्हें अधिक वेतन बांट दिया गया। गलती पता चलने पर इनसे ब्याज सहित इस अधिक भुगतान की वसूली कर ली गई। कोर्ट ने कर्मचारियों से वसूले गए ब्याज को गलत ठहराया है।अब सरकार ब्याज की यह राशि कर्मचारियों को वापस लौटाएगी।  लेकिन सवाल यह उठ रहे हैं कि सरकार की ओर से सिर्फ मूलधन लौटाया जाएगा या राशि मय ब्याज के लौटाई जाएगी। दरअसल अब यह राशि कर्मचारियों को लंबे समय बाद वापस मिलेगी। चूंकि यह गलती सरकारी स्तर पर हुई है तो ब्याज की जो राशि कर्मचारियों को वापस लौटाई जा रही है वह उन्हें उसके ब्याज समेत लौटाई जाएगी या बिना ब्याज के इस पर फिलहाल निर्णय नहीं हुआ है लेकिन इतना तो तय है कि ब्याज के रूप में वसूली गई राशि इन कर्मचारियों को वापस मिलने वाली है।

63.71 करोड़ का मामला
पिछले 11 साल के दौरान प्रदेश के विभिन्न जिलों में पदस्थ गृह विभाग और पुलिस के मजिस्ट्रियल पोस्ट के कर्मचारियों के वेतन का हिसाब-किताब रखने वाले एकाउंटेंटो ने पहले तो 1172 कर्मचारियों को उनके तय वेतन से ज्यादा राशि का भुगतान कर दिया। गलती का पता चलने पर इन कर्मचारियों को दिए गए अधिक वेतन की राशि मय ब्याज के इन कर्मचारियों से वसूलने के फरमान जारी कर दिए। प्रदेशभर में ज्यादा बांटे गए वेतन पर 63 करोड 71 लाख 67 हजार 793 रुपए के ब्याज की वसूली को लेकर कर्मचारियों ने हाईकोर्ट जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर खंडपीठ में चुनौती दी। इन कर्मचारियों का कहना था कि गलती विभाग से हुई है तो विभाग जो राशि ज्यादा दी उसे वापस ले ले पर इस पर ब्याज की वसूली नहीं होना चाहिए।

यह है हाईकोर्ट का आदेश…
हाई कोर्ट में लगी अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने निर्देश दिए है कि अनुसचिवीय संवर्ग के इन सभी 1172 कर्मचारियों को दिए गए अधिक वेतन पर ब्याज की वसूली नहीं की जाए। यदि वसूल लिया गया हो तो वापस किया जाए। सेवारत और सेवानिवृत्ति के बाद जिन कर्मचारियों के स्वत्वों से यह वसूली की जा रही है उस पर भी रोक लगाई जाए और वसूली गई ब्याज की राशि वापस लौटाई जाए। अब न्यायालय के फैसले के अनुसार ज्यादा वसूल किए गए ब्याज को लौटाने के मामले को  मंत्रिपरिषद ने भी मंजूरी दे दी है।