आरबीआई ने लगातार चौथी बार 0.50% बढ़ाया रेपो रेट

मुंबई:

त्योहारी सीजन में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आम आदमी को बड़ा झटका दिया है. RBI ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया है. इससे EMI महंगी हो सकती है. केंद्रीय बैंक ने अपनी प्रमुख उधार दर (रेपो रेट) को 50 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत कर दिया है.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गर्वनर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक खत्म होने के बाद  बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी. उन्होंने बताया किरेपो रेट  50 बेसिस पॉइंट बढ़ाने का फैसला किया गया है.  महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बैंक लगातार रेपो रेट में इजाफा कर रहा है. पिछले महीने 5 अगस्त को भी RBI ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा किया था.

मई से अब तक 1.40 प्रत‍िशत बढ़ा रेपो रेट
इससे पहले एमपीसी की सिफारिशों के आधार पर ही आरबीआई (RBI) ने जून और अगस्त में दो बार रेपो रेट में 0.50-0.50 फीसदी की वृद्धि का ऐलान क‍िया था. इससे पहले मई में केंद्रीय बैंक ने अचानक ब्याज दर को 0.40 प्रत‍िशत बढ़ाया था. इस इस ह‍िसाब से मई से अब तक रेपो रेट 1.40 प्रत‍िशत बढ़ चुका है. रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता होने वाली एमपीसी की तीन द‍िवसीय बैठक के बाद प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट के तीन साल के उच्चतम स्तर 5.9 फीसदी पर पहुंचने की संभावना है.

आने वाले समय में और महंगे हो जाएंगे लोन
फ‍िलहाल र‍िजर्व बैंक का रेपो रेट 5.40 प्रत‍िशत है. रेपो रेट में बढ़ोतरी से कॉस्ट ऑफ बोरोइंग यानी उधारी की लागत बढ़ जाएगा. बैंकों को पैसा महंगा म‍िलेगा तो आने वाले समय में लोन और महंगे हो जाएंगे. बैंक इसका असर ग्राहकों पर डालेंगे. इससे मकानों की बिक्री और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.

क्या है रेपो रेट?
गौरतलब है कि रेपो रेट वह दर है जिस पर की बैंक को RBI द्वारा कर्ज दिया जाता है और फिर इसी के आधार पर बैंक ग्राहकों को कर्ज देते हैं, जबकि रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर RBI उन्हें ब्याज देती है. ऐसे में, जब आरबीआई रेपो रेट बढ़ाती है तब बैंकों पर बोझ बढ़ता है और बैंक की तरफ से तब बैंक रेट में यानो लोन महंगा होता है.