बदलती आर्थिक, सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप कौशल उन्नयन ज़रूरी: राज्यपाल

व्यवसाय को शुरु करने के लिए ज्ञान, कौशल और मनोबल की जरूरत
राज्यपाल कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में हुए शामिल
भोपाल

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि कौशल उन्नयन और प्रशिक्षण को लगातार बदलती आर्थिक, सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप बनाए रखना ज़रूरी है, जिससे उद्योग तथा समुदायों के लिए प्रशिक्षण की प्रासंगिकता बनी रहे। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि वह नौकरी के लिए प्रतीक्षा नहीं करें, स्व-रोजगार के लिए प्रयास करें।

राज्यपाल श्री पटेल समन्वय भवन में मध्यप्रदेश रोज़गार एवं प्रशिक्षण परिषद् द्वारा प्रायोजित व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल द्वारा प्रतीक स्वरूप 25 प्रतिभागी को प्रमाण-पत्र का वितरण भी कार्यक्रम में किया गया। उल्लेखनीय है कि सेंटर फॉर रिसर्च एण्ड इंडस्ट्रियल स्टाफ परफॉरमेंस (क्रिस्प) द्वारा तीन माह के तकनीकी एवं व्यावसायिक आवासीय प्रशिक्षण का संचालन किया गया था। प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न जिलों के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले अनुसूचित जाति परिवारों के 237 युवाओं ने भाग लिया।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि आत्म-निर्भर भारत के निर्माण के लिए ज़रूरी है कि युवाओं की उद्यमिता को प्रोत्साहित किया जाए। वित्तीय संस्थान, युवाओं की उद्यमिता के प्रयासों में फेसिलिटेटर के रूप में सहयोग करें। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि प्राप्त कौशल का उपयोग स्व-रोजगार के लिए करें। इस तरह से अन्य लोगों को भी रोज़गार उपलब्ध करा पाएंगे। उन्होंने कहा कि व्यवसाय को शुरु करने के लिए बहुत अधिक अनुभव और पैसों की नहीं ज्ञान, कौशल और मनोबल की जरूरत होती है। स्व-रोजगार की सफलता के लिए केवल हर आवश्यक चीज सीखने और उसे अपने काम में अमल करने की जरूरत होती है। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि समाज के वंचित, गरीब और वरिष्ठ नागरिकों की मदद युवाओं का दायित्व है। उन्होंने युवाओं से कहा कि जीवन में माता-पिता के त्याग और बलिदान कभी नहीं भूलें। जीवन में कोई भी ऐसा कार्य नहीं करें जिससे मातृभूमि पर लांछन लगे।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री ओम प्रकाश सखलेचा ने कहा कि कौशल ज्ञान के साथ दृष्टिकोण की सकारात्मकता का होना ज़रूरी है। जीवन में लक्ष्य निर्धारित कर सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ सतत प्रयास ही सफलता का आधार है। उन्होंने कहा कि सपनों को साकार करने के लिए ज़रूरी है कि लक्ष्य की ओर समर्पण के साथ प्रयास किए जाएँ। उन्होंने विधान सभा क्षेत्र के बच्चों की शिक्षा और कौशल के लिए किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनिया में बहुमुखी चिंतन क्षमता वाला सबसे अच्छा मस्तिष्क भारतीय युवाओं का है। आवश्यकता सकारात्मकता के साथ निरंतर प्रयासों की है।

स्वदेशी जागरण मंच के श्री सतीश कुमार ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाला देश है। इस जन-शक्ति से भारत को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थ-व्यवस्था बनाया जा सकता है। आवश्यकता इसको मानव संसाधन में बदलने की है। आवश्यकता देश के युवाओं को कौशल संपन्न और उनकी उद्यमिता को बढ़ावा देने की है। भवन सन्निर्माण कर्मकार मंडल के अध्यक्ष श्री हेमंत तिवारी ने कहा कि मंडल द्वारा 49 श्रेणी के कर्मकारों के लिए 20 से अधिक योजनाएँ संचालित की गई हैं, जिनमें स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए सहायता के प्रावधान हैं। उन्होंने बताया कि मंडल के द्वारा विदेश में शिक्षा के लिए भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

अपर मुख्य सचिव कौशल विकास एवं तकनीकी शिक्षा श्री मनु श्रीवास्तव ने कहा कि ज़रूरी है तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के अनुरूप कौशल उन्नयन के प्रयास किए जाएँ। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वर्तमान मैकेनिकल वाहन में लगभग 1100 मूविंग पार्ट्स होते हैं, जबकि इलेक्ट्रिक वाहन में 100 के करीब ही मूविंग पार्ट्स होते हैं। इलेक्ट्रिक वाहन एक इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद है, जो सॉफ्टवेयर द्वारा संचालित होता है। इन वाहनों के संधारण के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स में प्रशिक्षित मानव संसाधन की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

क्रिस्प के प्रबंध संचालक डॉ. श्रीकांत पाटिल ने क्रिस्प की संरचना पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 85 से अधिक संकाय के द्वारा 11 सेक्टर में 40 से ज्यादा लैब का संचालन किया जा रहा है। भारत और अफ़्रीकी देशों के तकनीकी सशक्तिकरण के प्रयासों में भी क्रिस्प द्वारा सहयोग किया जा रहा है। आभार प्रदर्शन क्रिस्प के संचालक श्री अमोल वैद्य ने किया।