निर्वाचन आयोग का निर्णय शिवसेना को समाप्त करने के लिए एक तरह की राजनीतिक हिंसा: संजय राउत

मुंबई
 शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने के निर्वाचन आयोग (ईसी) के कदम की  आलोचना की। राउत ने निर्वाचन आयोग के इस फैसले को एक तरह की ‘राजनीतिक हिंसा’ करार दिया और कहा कि इसका उद्देश्य पार्टी को खत्म करना है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी राजनीतिक दलों को निर्वाचन आयोग से राजनीतिक दल की परिभाषा पूछने की जरूरत है। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘शिवसेना’ नाम और उसका चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ आवंटित किया। इसे उद्धव ठाकरे के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

शिवसेना की स्थापना 1966 में बाल ठाकरे की थी। राउत ने महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के कंकावली में पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया, निर्वाचन आयोग का आदेश शिवसेना को खत्म करने के लिए एक तरह की राजनीतिक हिंसा है और यह भय तथा बदले की भावना से किया गया कृत्य है। उन्होंने शिवसेना का जिक्र करते हुए कहा कि एक पार्टी है जो 50 साल से अधिक पुरानी है, जिसके कुछ विधायक और सांसद दबाव में दल बदलकर चले गए।

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता ने निर्वाचन आयोग के फैसले को कानून, संविधान और लोगों की इच्छा का उल्लंघन भी बताया। उन्होंने सरकार को नये सिरे से चुनाव कराने और यह देखने के लिए जनादेश मांगने की चुनौती दी कि शिवसेना किसकी है। राउत ने कहा, पार्टी और लोग उद्धव ठाकरे के साथ हैं और कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। शिंदे ने पिछले साल जून में ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करके सरकार बना ली थी।