म्यूचुअल फंड स्कीम्स पर भी लगेगा FD की तरह टैक्स, लोकसभा में पास हुआ बिल

नई दिल्ली.

ये खबर म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों के लिए काफी जरूरी है. अगर आप भी म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं, तो जल्द ही आपको बड़ा झटका लग सकता है. वजह ये है कि शुक्रवार को सरकार ने लोकसभा से फाइनेंस बिल में एक संशोधन पारित करवा लिया. इससे अब कुछ म्यूचुअल फंड स्कीम्स पर मिलने वाला टैक्स बेनेफिट खत्म हो गया है और अब 1 अप्रैल 2023 से आपको पहले से ज्यादा टैक्स इन पर देना पड़ सकता है.

फाइनेंस बिल यानी वित्त विधेयक में ये संशोधन डेट म्यूचुअल फंड स्कीम से जुड़ा है. अब डेट म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि के निवेश पर मिलने वाला कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) बेनेफिट खत्म हो गया है. इसकी जगह इन स्कीम को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) के दायरे में लाया गया है.

वित्त मंत्रालय संसद में शुक्रवार को वित्त विधेयक में प्रस्तावित बदलाव पेश कर सकता है और यह प्रस्तावित बदलाव 1 अप्रैल 2023 से लागू किए जा सकते हैं. बता दें कि अभी तक यदि 3 साल से अधिक समय के लिए रखे गए डेट म्युचुअल फंड को लंबी अवधि के निवेश के रूप में माना जाता है. इस पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20 फीसदी की दर से या इंडेक्सेशन के बिना 10 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाता है. वहीं, 3 साल से कम होल्डिंग पीरियड वाले लोगों पर उनके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है.

एडलवाइस म्यूचुअल फंड की एमडी और सीईओ राधिका गुप्ता चाहती हैं कि डेट फंड्स पर इंडेक्सेशन स्टेटस के साथ एलटीसीजी को हटाने के लिए फाइनेंस बिल में प्रस्तावित बदलाव की समीक्षा की जाए. उन्होंने कहा कि अभी भारत में वित्तीयकरण हो रहा है और कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार को एक मजबूत डेब्ट म्युचुअल फंड इकोसिस्टम की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत बॉन्ड और टारगेट मैच्योरिटी फंड्स जैसे प्रोग्राम की सफलता बॉन्ड कैटेगरी में बहुत सारे इनोवेशन की शुरुआत भर थी.

फिनट्रेक के निवेश सलाहकार अमित कुमार गुप्ता ने कहा कि यह कदम भारत में नए डेब्ट मार्केट के लिए एक बड़ा झटका है. उन्होंने कहा कि टैक्स आर्बिट्रेज अब चला गया है और उन्हें एफडी और एनसीडी के बराबर लाता है. आनंद राठी वेल्थ मैनेजमेंट के फिरोज अजीज ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि संशोधन के बाद डेट म्यूचुअल फंड का लाभ पूरी तरह खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि संपत्ति आवंटन करते समय टैक्सेशन अंतिम मानदंड है. 10 करोड़ रुपये तक के पोर्टफोलियो वाले लोगों के लिए इस कदम का बहुत बड़ा असर नहीं होगा. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि डेट फंड की तुलना में एफडी में थोड़ा बदलाव आएगा.