‘मन की बात’ के 99वें एपिसोड में पीएम ने की अंग दान की चर्चा, बताया पुण्य का काम

 नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' के 99वें एपिसोड में देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दो ंपर बात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन लोगों की जमकर सराहना की जो कि अंग दान करते हैं। बता दें कि इस कार्यक्रम के जरिए प्रधानमंत्री मोदी हर महीने के आखिरी रविवार को देशवासियों को संबोधित करते हैं। इसकी शुरुआत 3 अक्टूबर 2014 को हुई थी और अब इस कार्यक्रम का शतक पूरा होने वाला है।

पीएम मोदी ने कहा, 'आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के समय में अंग दान बहुत बड़ा विषय है। कोई व्यक्ति अगर अपनी  मृत्यु के बाद अपने अंग दान कर देता है तो इससे 8-9 लोगों को जीवनदान मिल जाता है। खुशी की बात है कि लोग अंग दान की तरफ  रुख कर रहे हैं। 2022 में 15 हजार लोगों ने अंग दान किए। अंग दान करने वाले लोग और उनके परिवार के सदस्य पुण्य का काम कर रहे हैं।'

नारीशक्ति पर बात
इस एपिसोड में पीएम मोदी ने नारीशक्ति की तारीफ की और नागालैंड में 75 साल में पहली बार महिला विधायक के रूप में चुनी जाने वालीं हेकानी जखालू का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, हमारे देश के विकास में महिला शक्ति की बड़ी भूमिका है। एशिया की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव जी को आप लोगों ने देखा होगा। उन्होंने कीर्तिमान बनाया है। इसके अलावा उन्होंने ऑस्कर्स की चर्चा करते हुए एलिफैंट विस्परर्स का जिक्र किया प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुनीत मोंगा और डायरेक्टर कार्तिकी गोंजाल्विसि की डॉक्युमेंट्री ने ऑस्कर जीतकर देश का नाम रोशन किया।

सोलर एनर्जी
प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रीन एनर्जी पर बात करते हुए कहा कि भारत जिस तरह से सोलर एनर्जी के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है वह एक बड़ी बात है। उन्होंने कहा दीव भारत का पहला ऐसा जिला है जहां शत प्रतिशत क्लीन एनर्जी का इस्तेमाल हो रहा है। इस तरह के प्रयास पूरे देश में होने चाहिए. इससे हम पूरी दुनिया को संदेश दे पाएंगे कि किस तरह से हमें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रहना है।

सौराष्ट्र-तमिल संगमम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में होने जा रहे 'सौराष्ट्र तमिल संगमम' का जिक्र करते हुए कहा कि 17 से 30 अप्रैल तक गुजरात के विभिन्न हिस्सों में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को लेकर आयोयन किए जाएँगे। सदियों पहले बहुत सारे लोग सौराष्ट्र से जाकर तमिलनाडु में बस गए थे। अब उन्हें सौराष्ट्र तमिल के नाम से जाना जाता है। यह कार्यक्रम एकता की मिसाल साबित होगा।

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