पाकिस्तान में आज फिर घमासान के आसार, इमरान को सता रहा गिरफ्तारी का डर; कर चोरी में मिला नया नोटिस

नई दिल्ली

पड़ोसी देश पाकिस्तान के आंतरिक हालात ठीक नहीं हैं। वहां सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच की जंग गहरा गई है। इसी लड़ाई में आज फिर से पाकिस्तान में घमासान छिड़ने के आसार हैं। हालांकि, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने समर्थकों से हरसंभव शांति बनाए रखने की अपील की है। लगे हाथ वो यह कहते हुए भी अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं को पहले से ही ताकीद कर रहे हैं कि आज (मंगलवार) को उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है क्योंकि इस्लामाबाद में विभिन्न मामलों में जमानत के लिए पेश होने वाले हैं। इंटरव्यू में इमरान खान ने कहा, "मंगलवार को मुझे जमानत के लिए इस्लामाबाद की अदालत में पेश होना है और 80 फीसदी संभावना है कि मुझे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। अभी देश में कानून का राज नहीं है। हम जंगल के कानून की ओर बढ़ रहे हैं।"

उधर, इमरान खान को चारों ओर से घेरने की रणनीति के तहत पंजाब प्रांत की सरकार की ओर से उनके लाहौर आवास के लिए 14 लाख पाकिस्तानी रुपये का भारी भरकम टैक्स नोटिस थमाया है। 'जियो न्यूज' की खबर के अनुसार, उत्पाद शुल्क और कराधान विभाग द्वारा पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख को उनके जमान पार्क निवास के लिए 14,40,000 रुपये के भुगतान को लेकर जारी नोटिस के अनुसार उन्हें सोमवार तक इस राशि का भुगतान करना है, जबकि इसे जमा करने की आखिरी तारीख 12 मई थी। खान वर्तमान में जमान पार्क निवास में रहते हैं।

      प्रांतीय कर संग्रह प्राधिकरण ने कहा कि खान से पिछले महीने घर का एक दस्तावेज मांगा गया था जिसे उन्होंने जमा करा दिया है और इसके मूल्यांकन के बाद उन्हें यह भारी भरकम कर चालान भेजा गया। खबर के मुताबिक, खान ने अपने टैक्स का नियमित रूप से भुगतान किया है, लेकिन अगर वह इस बार ऐसा करने में विफल रहते हैं तो उन्हें कानून के अनुसार एक और नोटिस भेजा जाएगा। खबर के अनुसार, जमान पार्क में पीटीआई प्रमुख के पुराने घर को ध्वस्त कर उसके स्थान पर नए आवास का निर्माण किया गया था, जिसका स्वामित्व उनके और उनकी बहनों के पास है।

दूसरी तरफ कानूनी शिकंजों से बचने कि लिए इमरान खान की पार्टी पीटीआई आर्मी एक्ट के तहत सैन्य अदालतों में मुकदमा चलाने के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुंची है। पार्टी ने सैन्य प्रतिष्ठानों पर 9 मई के हमलों में शामिल नागरिकों के खिलाफ सैन्य अदालतों में मुकदमा चलाने के खिलाफ सोमवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया और सरकार के फैसले को नियत प्रक्रिया और निष्पक्ष सुनवाई की संवैधानिक गारंटी का ''स्पष्ट उल्लंघन'' करार दिया।

पार्टी के अतिरिक्त महासचिव उमर अयूब खान द्वारा दायर याचिका में अनुच्छेद 184 (3) के तहत शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है। 'जियो टीवी' के अनुसार,  याचिका में शीर्ष अदालत के सामने 22 सवाल रखे गए हैं। याचिका में अदालत से यह भी पड़ताल करने का अनुरोध किया गया है कि क्या सशस्त्र बलों का अनुरोध दुर्भावनापूर्ण और अधिकार क्षेत्र से बाहर है क्योंकि संघीय सरकार ने दावा किया था कि चुनाव के दौरान सुरक्षा स्थिति के कारण उन्हें तैनात नहीं किया जा सकता।

      याचिका में अनुच्छेद 245 और धारा 144 के उपयोग के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया दिखाते हुए उच्चतम न्यायालय के बाहर पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) द्वारा आयोजित सार्वजनिक सभा को संघीय सरकार के समर्थनपर भी सवाल उठाया गया। रिपोर्ट में यह भी सवाल किया गया है कि क्या पीटीआई को ''आतंकवादी संगठन '' करार दिया जाना चुनाव नहीं कराने और खान के नेतृत्व वाली पार्टी को चुनावी प्रक्रिया से बेदखल करने की एक चाल है?

      बता दें कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने सैन्य और सरकारी प्रतिष्ठानों पर हाल के हमलों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ सैन्य अधिनियम और आतंकवाद रोधी अधिनियम सहित मौजूदा कानूनों के तहत मुकदमा चलाने के लिए सोमवार को एक प्रस्ताव पारित किया है। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने प्रस्ताव रखा जिसे संसद के निचले सदन ने बहुमत से पारित कर दिया। इसमें संकल्प लिया गया है कि 9 मई को सैन्य और सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमलों में शामिल दंगाइयों पर मौजूदा कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।

      गत नौ मई को इस्लामाबाद में अर्द्धसैनिक बल के जवानों द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लाहौर कोर कमांडर हाउस, मियांवाली एयरबेस और फैसलाबाद में आईएसआई भवन सहित एक दर्जन सैन्य प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की थी। रावलपिंडी में सेना मुख्यालय (जीएचक्यू) पर भी पहली बार भीड़ ने हमला बोला था।