उनका पूरा विपक्ष मौजूद था; ऑस्ट्रेलिया से आकर PM मोदी ने संसद के उद्घाटन के बहिष्कार पर कसा तंज

नई दिल्ली  
पीएम नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलिया के अपने तीन दिनों के दौरे से गुरुवार सुबह लौट आए। दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी का जोरदार स्वागत हुआ। इस मौके पर पीएम मोदी ने संबोधित करते हुए ऑस्ट्रेलिया की लोकतांत्रिक परंपरा का जिक्र किया तो वहीं इशारों में विपक्ष को भी सुना दिया। उन्होंने कहा कि सिडनी में भारतीय समुदाय का जो कार्यक्रम में था, उसमें ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बनीज के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री, सांसद, विपक्षी दलों के नेता भी शामिल थे। उन्होंने कहा, 'यह लोकतंत्र की ताकत है। उन सभी लोगों ने साथ मिलकर भारतीय समुदाय की ओर से आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया।'

अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने किसी का जिक्र तो नहीं किया, लेकिन उनका इशारा साफ था। उन्होंने ऐसे वक्त में यह बात कही है, जब नए संसद भवन के उद्घाटन का 19 विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। इस तरह पीएम नरेंद्र मोदी ने जब ऑस्ट्रेलिया के विपक्ष के भी कार्यक्रम में रहने की बात कही तो उन्होंने एक तरह से भारत में विपक्षी दलों के बायकॉट पर भी निशाना साध दिया। पीएम मोदी ने कहा कि मैंने वहां जिन भी लोगों और नेताओं से मुलाकात की, सभी ने भारत की जमकर तारीफ की। उन सभी लोगों ने हमारी तरफ से जी-20 की मेजबानी की सराहनी की और यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात रही।

प्रधानमंत्री ने अपने दौरे की शुरुआत जापान से की थी। वह वहां जी-7 देशों के समिट में शामिल हुए थे। इसके बाद वह पापुआ न्यू गिनी पहुंचे थे। इस द्वीपीय देश की यात्रा रणनीतिक और कूटनीतिक लिहाज से बेहद अहम है। इसके बाद वह ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने वहां के पीएम एंथनी अल्बनीज समेत विपक्ष के कई नेताओं से भी मुलाकात की। यही नहीं भारतीय समुदाय की ओर से आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया। पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने अपने दौरे का एक-एक क्षण देश के हित में लगाने का प्रयास किया।

उन्होंने कोरोना काल में दूसरे देशों को वैक्सीन देने की आलोचना करने वालों को भी जवाब दिया। पीएम मोदी ने कहा कि वे हमारी आलोचना करते थे कि दूसरे देशों को टीका क्यों दे रहे हैं। यह याद रखना चाहिए कि हम बुद्ध और गांधी का देश हैं। हम तो अपने दुश्मनों का भी ख्याल रखते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनिया भारत की आवाज को सुनना चाहता है। भारतीयों को अब गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए।