2000 हजार के नोट की वापसी का नक्सलियों ने विज्ञप्ति जारी कर किया विरोध

जगदलपुर

नक्सलियों के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो के प्रवक्ता समता ने जारी विज्ञप्ति में 2000 हजार रुपए के नोट की वापसी के फैसले का विरोध करते हुए इसके विरूद्ध जनांदोलन का आह्वान किया है। उन्होने कहा कि हिंदुत्व फासीवादियों ने देश की अर्थ व्यवस्था को डिजिटल अर्थ व्यवस्था में बदलने के काम पर लगे है। खासकर अमिरिकी डिजिटल लेन-देन चलाने वाले कंपनियां और उनके संपर्क में रहे रिलायंस, अदानी, टाटा, वगैरह कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए 2000 हजार रुपए के नोट बंदी हुई है।

नक्सली प्रवक्ता समता ने एक बयान में कहा कि 2016 की नोट बंदी के समय में 106 लोग मारे गये थे तथा 1.40 लाख सूक्ष्म, छोटे और मंझोली कम्पनियां बंद हुई थी, 40 करोड़ लोग इससे प्रभावित हुए जिनका काम बंद हो गया, फिर भी काला धन का पता नहीं मिला था। उस समय नोट बंदी के कारण देश की अर्थ व्यवस्था को 5 लाख करोड़ का नुकसान हुआ था। यह धन राशि फिर जनता से कर के रूप में वसूला गया था। आज देश का जीडीपी 250 लाख करोड़ है एवं 94 प्रतिशत आबादी असंगठित क्षेत्र में जीवन यापन कर रहे है। कुछ आर्थिक विश्लेषक बताते है कि 2000 रुपए नोट पूरे नगद में 10.48 प्रतिशत है, इसके रद्द करने से जनता को कोई नुकसान नहीं हुआ यह गलत आंकलन है। 2000 हजार रुपए के नोट रद्द करने के चलते बैंकों में डिपॉजिट का पैसा बढ़ेगी बढ़े हुए पैसे को बैंको कापोर्रेट कंपनियों को ऋण देगा। इसके साथ-साथ ई-कामर्स कंपनियों का व्यापार जोर पकड़ेगा। सेवा कर के रूप में उन कंपनियों की आमदनी बढेगी। कंपनियों के फायदे के लिए नोट बंदी किया है। यह, 90 प्रतिशत जनता को नुकसान देने वाला है।