जुड़वा बेटियों को छोड़कर फरार होने के मामले में नया मोड़, नवजात को लेने पहुंचा पिता, बताया क्यों हुआ था गायब

पटना
नवजात के जन्म के बाद मां की मौत और पिता के फरार होने के मामले में नया मोड़ आया है। मां की मौत के बाद नवजात को लेने के लिए कोई नहीं पहुंचा था। बिहार शरीफ सदर अस्पताल में ही स्वास्थ्यकर्मियों की देख रेख में बच्चियों का इलाज चल रहा था। वन इंडिया हिंदी ने प्रमुखता से इस खबर को चलाया था।

नवजात को छोड़कर पिता गायब था, वह कॉल का जवाब भी नहीं दे रहा था, ना ही बच्ची के परिजन उसे लेने आ रहे थे। अब नवजात के पिता बच्चियों को साथ ले जाने के लिए राज़ी हो गए हैं, उन्होंने कहा कि वह बच्चियों को साथ ले जाएंगे और उनकी परवरिश करेगे। दरअसल 18 मई को जुड़वा बच्चियों के जन्म के बाद महिला की मौत हो गई थी।

पत्नी की मौत के बाद पिता ने बेटियों को साथ ले जाने से इनकार कर दिया था। अब हरेंद्र पासवान (नवजात के पिता) ने बताया कि पत्नी की मौत के बाद बीमार पड़ गया था, इसलिए बच्चियों से मिलने नहीं पहुंचे। अस्पताल के एसएनसीयू में दोनों बच्चियां भर्ती हैं।

18 मई को अस्पताल ले जाने के क्रम में महिला को एंबुलेंस में ही प्रसव पीड़ा होने लगी थी। अस्पताल से कुछ दूरी पर एंबुलेंस में ही महिला ने नवजात को जन्म दिया। इसके बाद महिला की तबीयत बिगड़ने लगी। महिला को इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किया गया, लेकिन उसकी मौत हो गई। महिला की मौत के बाद 13 दिनों तक नवजात का सुध लेने कोई नही पहुंचा था। 14 दिन बाद नवजात के पिता उसे लेने पहुंचा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने नवजात को कमज़ोर बताते हुए ले जाने नहीं दिया। अस्ताल प्रबंधन ने बताया कि बच्ची कमज़ोर है, इसलिए पिता के साथ भेजना ठीक नहीं रहेगा।

बच्चियों की सेहत में सुधार होने तक अस्पताल में रहने दिया जाए। एक बच्ची 1kg और दूसरी बच्ची 1.2kg की है। स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट (SNCU, बिहारशरीफ सदर अस्पताल) में दोनों बच्चियां भर्ती हैं। स्वास्थ्यकर्मियों की देख रेख में उनका इलाज चल रहा है। अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि बच्चियों के ठीक होने तक उसे अस्पताल में ही रखना सही होगा। ठीक होने के बाद पिता उसे ले जा सकेंगे।

हरेंद्र पासवान ने इतने दिनों तक गायब रहने के मामले में कहा कि पत्नी की मौत के बाद मुझे गहरा सदमा लग गया था। पांच दिनों तक इलाज चला, वहीं परिवार के दूसरे लोग पत्नी के श्राद्ध कार्य में जुटे हुए थे। उसने बताया कि 16 साल पहले उसकी शादी हुई थी। घर में छोटे बच्चों को भी संभालना था। इसलिए आने में देर हो गई।

हरेंद्र पासवान ने बताया कि रात 1 बजे उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुआ। आशा कार्यकर्ता की मदद से नगरनौसा सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पत्नी को पहुंचे थे। वहां से उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। अस्पताल ले जाने के क्रम में एंबुलेंस में ही पत्नी बच्चे को जन्म दिया।

बच्चे के जन्म के बाद पत्नी की तबीयत बिगड़ गई, पत्नी को सदर अस्पताल में भर्ती कराने के लिए दो नर्स गुहार लगाते रहा लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी। दोनों नर्स ने महिला को मां शीतला अस्पताल में भर्ती करवा दिया। उस वक्त हरेंद्र के पास 15 हज़ार रुपये थे, उसने जमा करवा दिए। इसके बाद जब पैसे खत्म हो गया तो वहां से पावापुरी अस्पताल रेफर किया, जहां पहुंचने के 30 मिनट बाद पत्नी की मौत हो गई।